
राजधानी देहरादून में जब भी कोई वीवीआईपी मूवमेंट हीने की खबर सामने आती है तो उनके आगमन से 2 या 3 दिन पहले ही एक दिलचस्प तस्वीर सामने आती है। जैसे ही किसी बड़े नेता के आगमन की सूचना मिलती है, वैसे ही प्रशासनिक अमला एकदम सक्रिय हो जाता है। जिन सड़कों की मरम्मत महीनों से लटकी रहती है, जिन नालियों की सफाई के लिए लोग बार-बार शिकायत करते हैं — वो सब कुछ अचानक “फास्ट ट्रैक” पर आ जाता है।
शहर के कई इलाकों में आज यही नज़ारा देखने को मिला। जहां पिछले कई महीनों से गड्ढों से भरी सड़कें पड़ी थीं, वहां अब नया डामर बिछा दिया गया। बिजली के खंभों की लाइटें जो महीनों से बंद थीं, वो भी आज चमक उठीं। सफाई कर्मी सुबह से ही सड़कों पर जुटे दिखे, पेड़ों की कटिंग से लेकर डिवाइडरों की पेंटिंग तक का काम युद्धस्तर पर हुआ।
स्थानीय लोगों ने व्यंग्य करते हुए कहा कि, “अगर वीवीआईपी रोज़ आते रहें तो शायद शहर रोज़ चमकता रहेगा।”
लोगों का कहना है कि प्रशासन को विकास और सफाई की रफ्तार सिर्फ़ दिखावे के लिए नहीं बल्कि जनहित में नियमित तौर पर रखनी चाहिए। हर बार वीवीआईपी के दौरे से पहले होने वाला यह अचानक सुधार अब जनता की नाराज़गी का कारण बनता जा रहा है।


