भारत न्यूज फर्स्ट के द्वारा पिछले हफ्ते एक खबर को प्राथमिकता से दिखाया गया जिसमे दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे के टनल से आशारोड़ी तक के हिस्से का निमार्ण कर रही फरीदाबाद की कम्पनी केआरसी इंफ्रा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा आशारोड़ी के जंगलों मे अनेकों पेड़ो को सड़क से निकली मिट्टी और मलबे से डंपिंग करके दबा कर खत्म कर दिया।
अच्छे खासे हरे भरे कई 100 बड़े बड़े पेड़ सूख कर खत्म हो गए और ना जानें कितने अभी और सुखेगे खबर चलने के बाद आख़िरकार सोया हुआ वन विभाग जागा और सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लगभग 10 लाख का चालान काटा गया है।
सवाल ये है कि क्या इतने सारे बड़े बड़े हरे भरे पेड़ो को सुखाकर मार डालने पर मात्र 10 लाख का चालान?
क्या पेड़ो की महज इतनी ही महत्त्वता है?
बचपन से ही पढ़ाया जाता है की पेड़ नही तो मनुष्य नही लेकिन ये करोड़ों कमाने वाली कम्पनी चंद पैसे बचाने के लालच मे जो उनको सुखाकर मार रही थीं क्या इसके लिए इतनी सजा काफी होगी?
सवाल ये भी खड़े होते है की ये जो लाखो घन मीटर मिट्टी कि खुदाई कि गई क्या इसकी परमिशन एडीएम से ली गई थी? और ली गई थीं तो कितनी धन मीटर खुदाई की परमिशन ली गई थीं?
इस मामले को लेकर जल्द ही भारत न्यूज़ फर्स्ट और भी बड़े खुलासे करेगा।