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बहन के ही विधानसभा क्षेत्र से 5000 से हारा भाई क्या हरदा के पुरे परिवार की राजनीति पर लग गया विराम ….

Brother lost by Rs 5000 from sister's assembly constituency, has the entire Harda family's politics come to an end....

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हरीश रावत के पुत्र वीरेन्द्र रावत जो हरिद्वार लोकसभा से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार थे हरदा ने उनको अपने दम पर टिकट दिलाकर पार्टी को आस्वस्त किया की सीट जीता कर पार्टी की झोली मे डालेंगे पार्टी चाहती थी की वो खुद चुनाव लड़े लेकिन वो अपनी जिद्द पर अड़े रहे पार्टी ने सीनियर लीडर होने के कारण उनपे भरोसा किया लेकिन लगभग डेढ़ लाख से भी अधिक मतों से उनके पुत्र चुनाव हार गए उनकी खुद की बेटी जो हरिद्वार ग्रामीण से विधायक है वह भी अपने भाई को अपनी विधानसभा से जीत नहीं दिला पाई ये साफ दर्शाता है की उनकी बेटी को भी विधानसभा क्षेत्र की जनता ने नकार दिया है अनुपमा रावत के भाई वीरेंद्र रावत अपनी बहन के विधानसभा क्षेत्र से ही 5000 मतों से हार का सामना करना पड़ा ये अपने आप मे हरदा परिवार की जनता के विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
ये शायद हरदा और उनके परिवार के लिए अंतिम मौका था क्युकी सन 2017 से लगातर प्रदेश मे कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ रहा है ।
अब ये राष्ट्रीय नेतृत्व को देखना है की कब तक हरदा के अनुसार सब करके वो हार का सामना करना चाहते है।

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