क्षतिग्रस्त कार में सिसक रहे सिद्धेश के लिए निजी अस्पताल का एक फार्मासिस्ट फरिश्ता बनकर आया। अपने काम से रास्ते से गुजर रहे फार्मासिस्ट ने नजारा देखा तो उसने सबसे पहले सांसे चलते देख सिद्धेश को बाहर निकाला। उसने अपने परिचित को इसके बारे में बताया तो सिद्धेश उनका भी परिचित निकल गया। कुछ देर बाद ही मौके पर पुलिस पहुंची और सिद्धेश को सिनर्जी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
हादसा लगभग पौने दो बजे हुआ था। अभी हादसे को चंद मिनट ही हुआ था कि वहां से दीपक पांडेय नाम का युवक अपने काम से अस्पताल जा रहा था। उसने बिना कोई देर किए कार की तरफ दौड़ लगा दी। चारों ओर लाश और मांस के लोथड़े पड़े हुए थे। दीपक ने देखा कि अभी पिछली सीट के नीचे फंसे एक युवक की सांसें चल रही हैं।
वह सिसकियां ले रहा था। कराहने की भी आवाज नहीं निकल रही थी। दीपक ने अपने प्रयास से ही उसे बाहर खींचना शुरू कर दिया। लेकिन, वह बाहर नहीं निकल सका तो उन्होंने हाथ से ही चादर मोड़ना शुरू कर दिया। इससे उनका हाथ भी घायल हो गया।