देहरादून
16 नवंबर , ईमानदारी की बात ये है कि अब हम सभी की आदत टॉयलेट में भी मोबाइल फोन या गैजेट्स ले जाने की पड़ गई. बहुत से लोग वहीं मोबाइल या लैपटॉप खोलकर उस पर समय बिताने लगते हैं. बहुत से लोग अब ऐसा करने लगे हैं. एक नया अध्ययन डॉक्टरों के हवाले से ये कहता है कि जब आप टॉयलेट जाएं तो अपने गैजेट्स बाहर ही छोड़ दें.
इस आदत के चलते टॉयलेट का मुश्किल से तीन से पांच मिनट का समय 15 मिनट तक बढ़ जाता है. बहुत से लोग स्मार्ट फोन पर स्क्रॉल करके खबरें और पोस्ट पढ़ने लगते हैं. सोशल मीडिया देखने लगते हैं.एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक्सपर्ट्स चेतावनी देते हैं कि टॉयलेट में लंबे समय तक बैठना स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है. डलास में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर के कोलोरेक्टल सर्जन डॉ. लाई ज़ू ने कहा कि इसे बवासीर और कमजोर पेल्विक मांसपेशियों के बढ़ते जोखिम से भी जोड़ा गया है.ज़ू ने कहा, “जब मरीज़ मेरे पास शिकायत लेकर आते हैं तो जब हम उनकी परेशानी पर गहराई से सोचते हैं तो अंदाज होेता है कि ऐसा टॉयलेट में बहुत समय बिताने के कारण हो रहा है. एक नई स्टडी ये भी कहती है कि अगर आप कई बार मल त्याग के लिए टॉयलेट जा रहे हैं तो ये भी नुकसान करने वाला होता है.
5 से 10 मिनट ही गुजारना चाहिए
न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड स्थित स्टोनी ब्रुक मेडिसिन में सहायक प्रोफेसर और इन्फ्लेमेटरी बाउल डिजीज सेंटर के निदेशक डॉ. फराह मोनज़ूर के अनुसार, लोगों को औसतन 5 से 10 मिनट ही टॉयलेट में गुजारना चाहिए.अगर आप ज़्यादा समय तक रुकते हैं तो कई तरह की समस्याएं हो जाएंगी. इसके अपने साइंटिफिक कारण भी हैं. खुली अंडाकार आकार की टॉयलेट सीट हिप्स यानि नितंबों को दबाती है. गुरुत्वाकर्षण के कारण शरीर का निचला आधा हिस्सा नीचे की ओर खिंचता है, जिससे बढ़ा हुआ दबाव आपके रक्त सर्कुलेशन पर असर डालता है.परिणामस्वरूप गुदा और निचले मलाशय के आसपास की नसें और रक्त वाहिकाएं बढ़ जाती हैं और रक्त से भर जाती हैं, जिससे बवासीर का खतरा बढ़ जाता है.
इससे शरीर के किन अंगों पर बढ़ता है खतरा
डॉ. फोन, पत्रिकाओं और पुस्तकों को बाथरूम से बाहर रखने की सलाह देते हैं. बहुत से लोगों को टॉयलेट में अखबार पढ़ने की आदत होती है, ये भी हानिकारक है. जितना संभव हो उतना टॉयलेट बाउल पर कम बैठें. जबरदस्ती जोर लगाने से भी बवासीर के बढ़ने का दबाव बढ़ सकता है. टॉयलेट में अपने फोन पर स्क्रॉल करने वाले लोग समय का ध्यान नहीं रख पाते हैं, मल त्याग के लिए बैठे-बैठे अपनी मांसपेशियों पर जोर डालते हैं. अध्ययन में कहा गया कि लोग आजकल टॉयलेट में बैठने में ज्यादा समय बिताने लगे हैं और ये गुदा-मलाशय अंगों और पेल्विक एरिया (कमर से नीचे का हिस्सा) के लिए बहुत ही अस्वास्थ्यकर है.”