सहारनपुर पुलिस परीक्षा: सुधार की दिशा या सुर्खियों का खेल? SSP आशीष तिवारी पर उठे सवाल

सहारनपुर : पुलिस सुधार की दिशा या औपचारिकता? एसएसपी आशीष तिवारी की परीक्षा बनी चर्चा का विषय
परीक्षा के नतीजे आए, पर जिम्मेदारी अधर में — एसएसपी आशीष तिवारी की पहल चर्चा में
सहारनपुर पुलिस परीक्षा के नतीजे घोषित, जिम्मेदारी का इंतज़ार जारी : एसएसपी आशीष तिवारी पर निगाहें
सहारनपुर जनपद इन दिनों पुलिस विभाग के भीतर उठ रहे सवालों को लेकर चर्चा में है। दरअसल, कानून व्यवस्था सुधारने और पुलिस अधिकारियों की जानकारी को परखने के लिए एसएसपी आशीष तिवारी ने एक अनोखी पहल करते हुए 14 सितंबर 2025 को परीक्षा आयोजित कराई थी। यह परीक्षा थाने और चौकियों के प्रभारी चुनने के नए पैमाने के तौर पर बताई गई थी। लेकिन अब, परीक्षा को हुए 15 दिन से ज़्यादा बीत चुके हैं और परिणाम घोषित होने के बावजूद भी उन अधिकारियों को किसी तरह का प्रमोशन या ज़िम्मेदारी नहीं दी गई है जिन्होंने परीक्षा पास की है।
ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है कि आखिर यह परीक्षा कराई क्यों गई थी?
*परीक्षा का मकसद और आयोजन* 14 सितंबर को पुलिस लाइन में आयोजित इस परीक्षा में जनपदभर से 114 दारोगा और इंस्पेक्टर शामिल हुए। परीक्षा की देखरेख एसपी देहात सागर जैन और एसपी ट्रैफिक सिद्धार्थ वर्मा ने की। सवाल भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023, साइबर अपराध और एनडीपीएस अधिनियम जैसे विषयों से पूछे गए।15 सितंबर को नतीजे भी घोषित कर दिए गए। कहा गया कि यह परीक्षा पूरी पारदर्शिता के साथ कराई गई और इसका उद्देश्य सिर्फ़ यह था कि जो अधिकारी नए कानूनों की गहरी समझ रखते हैं, उन्हें थानों और चौकियों की कमान सौंपी जाएगी।
*15 दिन बाद भी कोई पोस्टिंग क्यों नहीं?* यही वह सवाल है जो अब पुलिस महकमे और अधिकारियों के बीच गूंज रहा है। परीक्षा पास करने वाले अधिकारियों को न तो नई ज़िम्मेदारी दी गई और न ही किसी तरह की घोषणा की गई। ऐसे में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या यह परीक्षा सिर्फ़ एक औपचारिकता थी या फिर एसएसपी आशीष तिवारी का नाम सुर्खियों में लाने का एक तरीका?कई लोगों का मानना है कि अगर नतीजों के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होनी थी, तो इतनी बड़ी परीक्षा आयोजित करने की आवश्यकता ही क्या थी। परीक्षा कराने और नतीजे घोषित करने के बाद अधिकारियों को उम्मीद थी कि अब उनकी मेहनत और ज्ञान का फल मिलेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
*क्या सिर्फ़ पहचान बनाने की कोशिश?* पुलिस विभाग के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस तरह की पहल पहली बार की गई, इसलिए इसे लेकर काफी प्रचार भी हुआ। मीडिया में खबरें बनीं और एसएसपी आशीष तिवारी की पहल को “नए प्रयोग” के तौर पर सराहा गया। लेकिन अब जब पास होने वालों को कोई प्रमोशन नहीं मिला है तो सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या यह सब सिर्फ़ व्यक्तिगत पहचान और सुर्खियां बटोरने का तरीका था? अगर इसका असली उद्देश्य सिर्फ़ प्रचार था, तो यह उन पुलिसकर्मियों के साथ नाइंसाफी है जिन्होंने पूरी ईमानदारी से परीक्षा दी और बेहतर अंक हासिल किए।
*अब आगे क्या?* हालांकि, यह भी हो सकता है कि प्रक्रिया में देरी हो रही हो और जल्द ही सफल अधिकारियों को नई जिम्मेदारियां दी जाएं। लेकिन 10 दिन तक चुप्पी बनाए रखना और किसी भी तरह का आधिकारिक बयान न देना, एसएसपी की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है।जनता और पुलिस महकमे दोनों की निगाहें अब एसएसपी आशीष तिवारी पर हैं। अगर आने वाले दिनों में प्रमोशन और नियुक्तियों की घोषणा नहीं होती, तो यह परीक्षा केवल एक राजनीतिक स्टंट या पब्लिसिटी का ज़रिया साबित होगी।
सवाल साफ़ है — क्या यह परीक्षा वास्तव में पुलिस सुधार और कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए थी, या फिर यह सब सिर्फ़ एसएसपी आशीष तिवारी के लिए एक शोपीस पहल?
सहारनपुर के पुलिस अधिकारी और जनता दोनों अब इंतज़ार कर रहे हैं कि आखिर इस परीक्षा का परिणाम कब असल रूप में दिखाई देगा। वरना यह कदम सिर्फ़ कागज़ों और सुर्खियों तक ही सीमित रह जाएगा।


