
विश्व स्पाइन डे के अवसर पर मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, देहरादून ने एक जागरूकता अभियान चलाते हुए रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य और उसके संरक्षण के महत्व पर विशेष बल दिया। इस अवसर पर अस्पताल के वरिष्ठ स्पाइन सर्जन एवं सलाहकार डॉ. प्रियांक उनियाल ने लोगों से अपील की कि वे पीठ दर्द को सामान्य न समझें, बल्कि इसे गंभीरता से लें और जीवनशैली में सुधार के माध्यम से इसका समय रहते उपचार करें।
डॉ. प्रियांक उनियाल ने कहा कि आज पीठ और गर्दन का दर्द केवल उम्र या कामकाजी जीवन से जुड़ी समस्या नहीं रही, बल्कि यह आधुनिक जीवनशैली की देन है। लंबे समय तक स्क्रीन पर काम करना, गलत मुद्रा में बैठना और शारीरिक गतिविधि की कमी — ये सभी कारक रीढ़ की हड्डी को कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “पीठ दर्द को बुढ़ापे या थकान का हिस्सा मानना भूल है। शुरुआती लक्षणों की अनदेखी आगे चलकर गंभीर बीमारियों जैसे हर्नियेटेड डिस्क, स्कोलियोसिस या तंत्रिका दबाव का कारण बन सकती है। रोकथाम इलाज से बेहतर है — और यह हर किसी के लिए संभव है।”
अपने वक्तव्य में डॉ. उनियाल ने रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य के चार प्रमुख स्तंभों पर विस्तार से प्रकाश डाला —
1️⃣ गतिविधि ही दवा है: नियमित चलना, योग, स्ट्रेचिंग और व्यायाम रीढ़ को मजबूत और लचीला बनाए रखते हैं।
2️⃣ सही आसन और एर्गोनॉमिक्स: सही मुद्रा में बैठना, उचित डेस्क सेटअप और काम के दौरान छोटे ब्रेक लेना जरूरी है।
3️⃣ सही तरीके से वजन उठाना: भारी सामान को गलत तरीके से उठाना रीढ़ पर अत्यधिक दबाव डालता है, इसलिए सही तकनीक और कोर स्ट्रेंथ पर ध्यान दें।
4️⃣ जन स्वास्थ्य शिक्षा: स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों में रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य पर शिक्षा को शामिल किया जाना चाहिए ताकि कम उम्र से ही लोग सतर्क रहें।
डॉ. प्रियांक उनियाल जैसे अनुभवी विशेषज्ञों के नेतृत्व में मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, देहरादून लगातार सामुदायिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। अस्पताल ने कहा कि रीढ़ की हड्डी का स्वास्थ्य विलासिता नहीं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता के लिए आवश्यक तत्व है।
अस्पताल ने नागरिकों से आग्रह किया है कि वे नियमित गतिविधि, सही मुद्रा और समय पर डॉक्टर से परामर्श लेकर अपनी रीढ़ की हड्डी की सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभाएं।



