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हड्डियां गलाने वाली ठंड.. फिर भी डटे रहे भारतीय जवान, ये है कारगिल विजय दिवस की शौर्य गाथा

आज यानी 26 जुलाई को भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध को 25 साल पूरे हो गए हैं. इसके साथ ही भारतीय सेना द्वारा किया गया ऑपरेशन विजय भी अपने 25 साल पूरे किए हैं. हर साल 26 जुलाई को कारगिल दिवस मनाया जाता है. आज 25 साल पूरे होने पर आइए जानते हैं इस युद्ध की कहानी क्या थी.

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ये कहानी है उन शूरवीरों की जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए देश के लिए हंसते-हंसते कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. 25 साल पहले भारत के वीर सपूतों ने पाकिस्तानी सैनिकों के मंसूबों को पस्त करते हुए कारगिल की चोटियों पर तिरंगा फहराया था. 26 जुलाई 1999 का वो दिन हर भारतवासी के लिए गर्व का दिन था. गर्व से भरे इस दिन को तभी से हम कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाते हैं. 26 जुलाई की ये तारीख इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि इसी दिन ऑपरेशन विजय भी सफल हुआ था. इस ऑपरेशन में भारतीय सैनिकों ने जम्मू-कश्मीर स्थित कारगिल के उन इलाकों पर दोबारा फतह हासिल की थी जिन पर पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों ने घुसपैठ कर कब्ज़ा कर लिया था.

कारगिल युद्ध की शुरूआत 1971 में  भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध से हुई थी. इस युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान एक स्वतंत्र देश के रूप में सामने आया जिसे बांग्लादेश कहा गया. दोनों देशों के बीच की ये लड़ाई यहीं ख़त्म नहीं हुई. सियाचिन ग्लेशियर पर अपना हक स्थापित करने के लिए दोनों देशों में लड़ाई चलती रही. जिसके कारण दोनों देशों की ये दुश्मनी आगे भी जारी रही. इस दुश्मनी को शांति पूर्वक विराम देने के लिए फरवरी 1999 में दोनों देशों के बीच “लाहौर डिक्लेरेशन” नाम का समझौता हुआ जिस पर दोनों ही देशों ने दस्तखत किए.

लेकिन इसके बावजूद, समझौते की अवमानना करते हुए पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के उत्तरी कारगिल में स्थित भारत की लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर घुसपैठ कर कब्जा कर लिया. भारतीय सैनिकों को इस घुसपैठ की ख़बर मई 1999 में लगी जिसके बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय लॉन्च किया. पहाड़ों की हड्डियां गला देने वाली ठंड में भी भारतीय सैनिक डटे रहे और मई 1999 से जुलाई 1999 तक ये ऑपरेशन जारी रहा और इन तीन महीनों की लड़ाई में हमारे देश के लगभग 490 सैन्य अधिकारी और जवान शहीद हुए. 3 महीने की लम्बी लड़ाई और तमाम जवानों को खोने के बाद 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों को खदेड़ने में कामयाब हुई. इस तरह ऑपरेशन विजय सफल हुआ और कारगिल की चोटी पर तिरंगा फहराया गया.

 

हर साल क्यों मनाया जाता है कारगिल दिवस?

26 जुलाई 1999 को हुए कारगिल युद्ध में शहीद हुए सेना के तमाम जवानों और अधिकारियों के बलिदान के याद करते हुए उन्हें सम्मान देने के लिए कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. कारगिल युद्ध में भारत के कोने-कोने से लोग जुड़े और सैनिकों के समर्थन में आगे आए. कारगिल विजय दिवस देश की एकता और देशभक्ति का प्रतीक है. इसके साथ ही कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों की वीरता भरी कहानी देशवासियों के लिए एक प्रेरणा है जो देशवासियों में देश के लिए उनके कर्तव्य की भावना जगाती है

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