
देहरादून
उत्तराखंड के केदारनाथ क्षेत्र में हेली सेवाओं से जुड़ी दुर्घटनाएं अब एक गंभीर समस्या बनती जा रही हैं। इन हादसों के पीछे हेली कंपनियों की लापरवाही, नागरिक उड्डयन अधिकारियों की मिलीभगत और सरकार की अनदेखी को मुख्य कारण माना जा रहा है।
रविवार को घटी एक और हेली दुर्घटना में स्थानीय लोग बाल-बाल बचे। यह घटना कोई पहली नहीं है, बल्कि बीते वर्षों में कई बार हेली सेवाओं की लापरवाही सामने आ चुकी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन सेवाओं की जांच की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों पर है, उनके खिलाफ अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस संदीप चमोली ने कहा कि केदारनाथ क्षेत्र में बड़ी संख्या में हेली कंपनियों को लाइसेंस जारी किए गए हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश के पास न तो पर्याप्त तकनीकी सुविधाएं हैं, और न ही सुरक्षा मानकों का पालन किया जा रहा है। आरोप है कि बिना गुणवत्ता जांच के “कुकुरमुत्तों” की तरह इन कंपनियों को लाइसेंस दिए जा रहे हैं।
स्थानीय लोगों और यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ करते हुए ये हेली कंपनियां केवल मुनाफे पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। सुरक्षा मानकों की अनदेखी आम हो गई है। उड़ानों में तकनीकी निरीक्षण का अभाव, प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी और मौसम की अनदेखी जैसे कई मुद्दे इन हादसों को जन्म दे रहे हैं।
सरकारी अधिकारियों पर कंपनियों को संरक्षण देने के आरोप भी लग रहे हैं। लोगों का कहना है कि संबंधित अधिकारी हेली कंपनियों की लापरवाही पर जानबूझकर आंखें मूंदे हुए हैं और सुरक्षा से जुड़े नियमों की अनदेखी को नजरअंदाज कर रहे हैं।
इन घटनाओं के चलते न केवल यात्रियों की जान को खतरा है, बल्कि इससे उत्तराखंड की छवि भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावित हो रही है। लगातार हो रही हेली दुर्घटनाओं को लेकर सरकार की चुप्पी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
जनता की मांग:
• हेली सेवाओं का स्वतंत्र और निष्पक्ष ऑडिट कराया जाए
• दोषी अधिकारियों और लापरवाह कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई हो
• हेली सेवाओं के संचालन से पहले सख्त सुरक्षा मानकों की अनिवार्यता सुनिश्चित की जाए
• स्थानीय लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए
सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह हेली सेवाओं में पारदर्शिता और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करे, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके और श्रद्धालुओं के साथ-साथ स्थानीय लोगों की जान की हिफाजत की जा सके।