
देहरादून
दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने करैत (Krait) सांप के विषैले काटने के बाद एक 17 वर्षीय युवक हिमांशु की जान बचाकर एक मिसाल पेश की है।
हिमांशु, निवासी इंदिरा नगर, को 26 जून 2025 को दोपहर लगभग 12:30 बजे दाहिने हाथ के अंगूठे के नीचे सांप के काटने के बाद अस्पताल लाया गया। भर्ती के समय मरीज को हाथ में तेज़ खुजली और जलन हो रही थी। चिकित्सा परीक्षण में दाहिने हाथ के अंगूठे के नीचे सांप के दांतों के स्पष्ट निशान पाए गए। उस समय मरीज की सभी महत्वपूर्ण जीवन संकेत (vital signs) स्थिर थे।
हालांकि कुछ ही घंटों में, लगभग 2:45 बजे, हिमांशु को सांस लेने में कठिनाई शुरू हो गई, जिसे देखते हुए तुरंत वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया और 6 घंटे तक ऑक्सीजन दी गई। इलाज के तहत मरीज को एंटी-स्नेक वेनम (ASV) की 10 शीशियों की खुराक दी गई।
अगले दिन मरीज को आंखें न खोल पाने, मांसपेशियों में कमजोरी और गर्दन में दर्द की शिकायत हुई। इसके उपचार हेतु नियोस्टिग्माइन और एट्रोपीन इंजेक्शन की उचित खुराक दी गई। समय रहते प्रभावी इलाज मिलने से मरीज की स्थिति धीरे-धीरे सुधरती गई।
अंततः 28 जून 2025 को हिमांशु की हालत पूरी तरह स्थिर हो जाने पर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। यह जीवनरक्षक कार्य दून मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक्स विभाग की विशेषज्ञ टीम के सामूहिक प्रयास का परिणाम था, जिसमें डॉ. अशोक कुमार (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, पीडियाट्रिक्स), डॉ. गौरव माखिजा, डॉ. पूजा और डॉ. प्रमोद टम्टा शामिल थे।
कॉलेज की प्राचार्या एवं DME डॉ. सयाना ने पूरे चिकित्सा दल को इस उत्कृष्ट कार्य के लिए बधाई दी और इसे संस्थान की सेवा भावना और चिकित्सकीय दक्षता का प्रतीक बताया।
यह घटना न केवल चिकित्सकों की तत्परता और विशेषज्ञता को दर्शाती है, बल्कि यह भी संदेश देती है कि समय पर इलाज और सही चिकित्सा सहायता से ज़हर जैसे घातक संकट से भी जीवन बचाया जा सकता है।