हाथरस
भक्ति कहें या अंधभक्ति। पांव छूने की होड़ ने मौत का प्रहसन रच डाला। एक तरफ बाबा के पांव छू लेने की होड़ थी, दूसरी तरफ सेवादारों की बंदिशें। लोग उनकी बंदिशें तोड़कर भागे और मौत की सरहद में जा धंसे। कोई धक्के से गिरा तो कोई फिसलकर। किसी का सीना कुचला तो किसी का सिर। उमस पहले से सांसों पर भारी थी। अस्पतालों में भर्ती लोगों से जब बात की गई तो उनका कहना था कि भीड़ के बीच सांस लेना तक मुश्किल हो रहा था। इसी दौरान भगदड़ मच गई।