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महिलाओ के सशक्तिकरण के बिना भारत के विश्वगुरु की कल्पना भी नहीं-अंकित भट्ट

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महिलाओ के सशक्तिकरण के बिना भारत के विश्वगुरु की कल्पना भी नहीं।अंकित भट्ट

‘अटल’ युवा लेखक सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहने वाले तेज तर्रार युवा अंकित भट्ट अटल ने अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कहा की हमारा देश महिलाओ को देवी का रूप मानता है।हमारे शास्त्रों में महिलाओ के देवी कहा गया है। कहा गया है की जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते है।

भट्ट अटल ने आगे कहा की महिलाओं का सशक्तिकरण बहुत जरूरी है महिलाओ के सशक्तिकरण के बिना विकसित भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती।उन्होंने आगे कहा की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनको अधिक मात्रा में स्वरोजगार की संसाधन उपलब्ध कराने होंगे। नारी शक्ति वंदन विधेयक महिलाओ के सशक्तिकरण उनके सामाजिक एवम राजनीतिक उत्थान में मील का पत्थर साबित होगा।

अंकित भट्ट  ने कहा की पहाड़ में आज भी महिलाओ के लिए प्रसव संबधी स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है।कई बार उचित स्वास्थ्य सुविधा ना मिलने के कारण जच्चा बच्चा की मौत तक हो जाती है।ये सब देखकर उन्हें लगता है की नारी सशक्तिकरण के लिए सबसे पहले उसे स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध कराना जरूरी है।

आगे उन्होंने कहा की देश के  प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी जी ने महिलाओ के सशक्तिकरण के लिए ही उज्जवला गैस कनेक्शन हो चाहे सुरक्षित मातृत्व बंदना योजना हो चाहे नारी शक्ति बदन विधेयक,ये सारी योजनाएं महिलाओ के सशक्तिकरण में अहम साबित होंगी।गौरतलब है की श्री अंकित भट्ट लंबे समय से महिला शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति समाज में काम कर रहे है।उन्होंने महिलाओ की शिक्षा के लिए बहु आयामी संस्थान खोलने का लक्ष्य भी रखा है।विशेष बातचीत में उन्होंने बताया की इतिहास में वर्णित हमे उन महिलाओ के समर्पण को भी अपनी शिक्षा पद्धति में पढ़ाने की अवश्यकता है जी जिन्होंने देश समाज गांव गरीब के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।उन्होंने इस चीज को लेकर काफी दुख जताया की ग्रामीण परिवेश में कई ऐसी महिलाएं है जिन्होंने समाज के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया लेकिन ना शासन की नजर उनके कार्यों पर पड़ी ना उनको प्रोत्साहित ही कभी किया गया।महिला सुरक्षा ,महिला सशक्तिकरण के लिए सबसे अहम है।आज जिस तरह की घटनाएं हमारे देश में हो रही है चाहे वो मणिपुर की घटना हो या फिर संदेशखाली की घटना इससे एक चीज तो स्पष्ट प्रतीत होती है की कानून बनाने से नहीं कानून को सही ढंग से क्रियान्वित किए जाने की अवश्यकता हो।जिससे महिलाओ में अपनी सुरक्षा का भय ना हो।

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