देश की राजनीति में कैराना का हसन परिवार जिसकी तीन पीढ़ियों के सभी सदस्य देश व प्रदेश के उच्च सदन के सदस्य रहे हैं। यही नहीं हसन परिवार की सबसे छोटी बेटी इकरा हसन पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ीं और 69 हजार 116 वोटों से विजय हासिल कर सांसद बन गईं।
इकरा हसन के वालिद मरहूम चौधरी मुनव्वर हसन का नाम तो राजनीति में एक मुकाम हासिल करने पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। सांसद मुनव्वर हसन ने सबसे कम उम्र में देश के चारों सदनों का सदस्य बनने का गौरव हासिल किया था।
लंदन में पढ़ी इकरा ने पहली बार लड़ा चुनाव और बन गईं सांसद
27 वर्षीय इकरा हसन पहली बार कैराना लोकसभा सीट पर इंडिया गठबंधन से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ीं और 69 हजार 116 वोटों से विजयी हुईं। इकरा हसन को पांच लाख 28 हजार 13 मत मिले जबकि, भाजपा प्रत्याशी प्रदीप चौधरी को चार लाख 58 हजार 897 वोट मिले। इकरा हसन की शुरुआती शिक्षा कैराना में हुई थी। उन्होंने 12वीं दिल्ली के क्वींस मेरी स्कूल से की थी। लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की।
इसके बाद इंटरनेशनल लॉ एंड पॉलिटिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से किया था। लंदन में सीएए का विरोध-प्रदर्शन कर सुर्खियों में आई थीं। वह पढ़ाई पूरी कर 2021 में स्वदेश लौटी थीं।
बडे़ भाई नाहिद हसन हैं कैराना सीट से वर्तमान विधायक
सांसद इकरा हसन के बड़े भाई चौधरी नाहिद हसन कैराना विधानसभा सीट पर सपा पार्टी से विधायक हैं। नाहिद हसन ने ऑस्ट्रेलिया में उच्च शिक्षा ग्रहण की। 2008 में सड़क हादसे में पिता मुनव्वर हसन की मृत्यु के बाद वे भारत वापस आ गए। 2014 के उपचुनाव में नाहिद हसन सपा के टिकट पर विधायक का चुनाव लड़े और पहली बार विधायक बने। इसके बाद 2017 व 2022 में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह को हरा कर जीत हासिल की और लगातार तीन बार विधायक बनने का गौरव हासिल किया।
मां तब्बसुम बेगम दो बार रह चुकीं सांसद
इकरा हसन की माता तब्बसुम बेगम दो बार कैराना सीट से सांसद चुनी गईं। 2008 में सांसद मुनव्वर हसन की सड़क हादसे में मौत पर बसपा सुप्रीमो मायावती कैराना आई थीं। 2009 में तब्बसुम बसपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़कर सांसद बनीं। इसके अलावा 2018 में उपचुनाव में भी तब्बसुम बेगम चुनाव जीत कर सांसद बनीं। जबकि 2019 का चुनाव वो हार गई थीं।
सांसद मुनव्वर हसन का नाम दर्ज है गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में
15 मई 1964 को पूर्व सांसद अख्तर हसन के घर जन्मे मुनव्वर हसन ने राजनीति में ऊंचाइयों को छुआ। सांसद मुनव्वर हसन ने 1991 में राजनीति में कदम रखा। 1991 और 1993 में दो बार जनता दल के टिकट से विधायक बने। बाद में सपा में शामिल होने पर 1996 में सांसद बने। 1998 में पूर्व राज्यपाल विरेंद्र वर्मा से चुनाव हार जाने के बाद राज्यसभा के सदस्य बने। 2003 में विधान परिषद का चुनाव लड़ कर एमएलसी बने। 2004 में मुजफ्फरनगर सीट से सपा के टिकट पर सांसद बने। लेकिन 10 दिसंबर 2008 की मनहूस रात जब एक सड़क हादसे में राजनीति के दिग्गज मुनव्वर हसन दुनिया को अलविदा कह गए। सबसे कम उम्र में देश के चारों सदनों का सदस्य बनने पर उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ था।
दादा अख्तर हसन 1984 में बने थे सांसद
इकरा हसन के दादा अख्तर हसन का जन्म 1930 में गांव जंधेडी में फैय्याज हसन के घर हुआ था। बाद में उनका परिवार कैराना के मोहल्ला आल दरम्यान में आकर बस गया था। 1969 में अख्तर हसन वार्ड सभासद बने। 1970 में मुस्लिम गुर्जर खाप के चौधरी बने। 1971 व 1973 में दो बार नगर पालिका के चेयरमैन बने। 1975 में आजीवन कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। इंदिरा गांधी के हत्या के बाद 1984 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड एक लाख 27 हजार मतों से जीत हासिल करके सांसद बने।
चाचा हाजी अनवर हसन बने थे पालिका चेयरमैन
इकरा हसन के चाचा हाजी अनवर हसन ने 2018 में कैराना नगर पालिका चेयरमेन पद के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था। हाजी अनवर हसन राशिद अली को शिकस्त देकर नगर पालिका चेयरमैन बने थे, लेकिन 2023 के पालिका चुनाव में वो हार गए थे।