उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदेश उपाध्यक्ष एवं कोषाध्यक्ष आर्येन्द्र शर्मा ने निजी अस्पतालों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है मुख्य्मंत्री धामी को पत्र लिखकर सभी डॉक्टरों की सम्पति की जांच तक की मांग की है यदि निजी अस्पतालों की मनमानी पर लगाम ना लगाई तो वो इसके खिलाफ आंदोलन करेगे आर्येन्द्र शर्मा ने पत्र लिखते हुए कहा…
महोदय,
आपके संज्ञान में लाना है कि कभी समाज सेवा एवं पुण्य का सबसे बड़ा कार्य कहे जाने वाले चिकित्सा क्षेत्र लूटखसोट का सबसे बड़ा व्यपारिक केंद्र बना गया है. समाज का गरीब तबका आज निजी अस्पतालों में जाकर अपना उपचार कराने का ख्याल भी अपने मन में नहीं आने दे रहा है. कारण यह है कि किसी भी निजी अस्पताल में यदि छोटी सी बीमारी के कारण भी दो चार दिन के लिए भर्ती हो जाएं तो लाखों से कम का बिल आने की उम्मीद नहीं है. पूरे राज्य के निजी अस्पतालों का यहीं हाल है. आए दिन निजी अस्पतालों द्वारा मरीज़ों के साथ लूट खसोट की खबरें आती रहती है. पिछले दिनों देहरादून के एक बड़े अस्पताल से भी कुछ ऐसी ही खबर आई जिसमें ठीक करने के नाम पर मरीज़ से उसकी बिमा पॉलिसी एक निजी अस्पताल के कर्मचारी खा गए.
महोदय निजी अस्पतालों की लूट खसोट पर निम्न बिंदु आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ –
● पहाड़ के दुर्गम इलाकों से भी मरीज बेहतर इलाज के लिए शहरों में आते हैं. लेकिन कुछ ही दिनों में निजी अस्पताल लाखों रुपये लूट लेते हैं. कमरा और बेड के रेट किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं है. सर्वप्रथम निजी अस्पतालों के कमरा और बेड के बढ़ते रेट पर अंकुश लगाकर, इनका रेट इतना निर्धारित किया जाए जिसको एक गरीब व्यक्ति भी वहन कर सके.
● निजी अस्पतालों में हर चीज़ में ओवर रेटिंग है. फिर चाहे इलाज, ऑपरेशन, एक्सरे, जांच या फिर दवाई हो. ये सब कार्य बाहर सस्ते हो जाते हैं लेकिन निजी अस्पताल मरीज़ को अस्पताल के अंदर ही जांच, एक्सरे और दवाईयां लेने को विवश करते हैं और मनमर्ज़ी कीमत वसूलते हैं. निजी अस्पतालों में रेटिंग रेट तय करने की ज़रूरत है. जिसमें डॉक्टर की फीस समेत सभी इलाजों, दवाइयों और जांचों की कीमत तय होनी चाहिए और साथ ही बोर्ड भी लिखी होनी चाहिए.
● संज्ञान में आया है की निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स एक साथ कई अस्पतालों में अपनी सेवाएं घंटों के समय के हिसाब से दे रहे हैं. इस पर अंकुश लगाया जाए और एक डॉक्टर को एक ही अस्पताल में प्रैक्टिस करने का नियम लागू किया जाए। और साथ ही डॉक्टर की पूरी जानकारी फ़ोटो और पते के साथ प्रत्येक अस्पताल के अंदर डिस्प्ले बोर्ड पर साझा करने का नियम लागू किया जाए।
● निजी अस्पताल एक माफिया नेटवर्क की तरह काम कर रहे हैं. एम्बुलेंस सेवा पर भी इन माफियाओं का कब्ज़ा है. निजी अस्पतालों ने एम्बुलेंस कर्मचारियों से सेटिंग कर के मरीज़ों को अपने अस्पताल तक लाने का खतरनाक जाल फैलाया हुआ है. एम्बुलेंस कर्मचारी मरीज़ों को इन्ही निजी अस्पतालों में लेकर जाते हैं.
● भारत सरकार की अति महत्वपूर्ण योजना ‘आयुष्मान कार्ड’ पर सभी निजी अस्पताल इलाज नहीं कर रहे हैं. यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी निजी अस्पताल आयुष्मान कार्ड पर इलाज कराएं। जिससे कि गरीब व्यक्ति भी बेहतर इलाज पा सके।
● राज्य कर्मचारी बीमा योजना (ESI) को सभी कम आमदनी वाले तबके के लिए प्रत्येक निजी अस्पतालों में भी लागू किया जाए।
● चिकित्सा माफियाओं ने समाज को लूट लूट कर बेहिसाब संपत्ति अर्जित की है. इनकी संपत्ति की जांच हो एवं अमानवीय व्यवहार करने वाले अस्पतालों पर कार्यवाही निर्धारित हो. जैसे कि मरीज़ की लाश न देना और पैसों के अभाव में ईलाज न करना.
● प्रत्येक अस्पतालों में डिस्प्ले बोर्ड पर शिकायत करने हेतु आवश्यक फोन नंबर और ईमेल एड्रेस उपलब्ध कराए जाएं ( www.pgportal.gov.in , 18001805145, सवास्थ्य विभाग, सीएमओ, पीएमओ,आईएमसी), जहाँ पर मरीज़ अपनी शिकायत दर्ज करा सके।
यदि इन मांगो पर संज्ञान ना लिया गया तो बड़ा आंदोलन करेगे आर्येन्द्र शर्मा।