उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959) संशोधन विधेयक को लेकर दूसरी बैठक में भी प्रवर समिति किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। विधेयक में ओबीसी आरक्षण सर्वे को लेकर सदस्यों ने अपने सुझाव रखे। सदस्यों का कहना है कि 2011 की जनगणना को सर्वे का आधार बनाया जाए। चार अक्तूबर को फिर से समिति की बैठक तय की गई है।
विधानसभा भवन में शहरी विकास मंत्री एवं प्रवर समिति के सभापति प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में समिति के सदस्यों ने नगर निगम संशोधन विधेयक में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा की। सदस्यों का कहना है कि विधेयक में ओबीसी आरक्षण के लिए जो सर्वे किया गया है, उसमें बाहरी राज्यों से आए लोगों को शामिल किया गया। जो उत्तराखंड की बदल रही डेमोग्राफी के लिए ठीक नहीं है। सर्वे के लिए वर्ष 2011 की जनगणना को आधार बनाया जाना चाहिए।
समिति की ओर से बैठक में एकल सदस्यीय समर्पित आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीएस वर्मा को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। उन्होंने सर्वे को लेकर सदस्यों की जिज्ञासाओं पर जानकारी दी। बैठक में भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान, खजान दास, विनोद चमोली, कांग्रेस विधायक ममता राकेश, हरीश धामी, बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद मौजूद थे।
चार अक्तूबर को फिर से बैठक तय
बैठक में विधेयक को लेकर सभी सदस्यों ने सौहार्दपूर्ण माहौल में चर्चा कर अपने सुझाव दिए। पहली व दूसरी बैठक में सदस्यों की ओर से कई सुझाव दिए गए हैं। चार अक्तूबर को फिर से बैठक तय की गई है। इसके बाद ही समिति किसी निष्कर्ष पर पहुंचेगी। – प्रेमचंद अग्रवाल, शहरी विकास मंत्री
एक माह में समिति को सौंपनी है रिपोर्ट
नगर निगम संशोधन विधेयक पर प्रवर समिति को एक माह के भीतर रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंपनी है। इसकी अवधि नौ अक्तूबर को पूरी हो रही है। नौ सितंबर को विधानसभा सचिवालय ने प्रवर समिति गठन की अधिसूचना जारी की थी। 18 सितंबर को समिति की पहली बैठक हुई थी।