Uttarakhand UCC Bill: उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के फाइनल ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है. इसे 6 फरवरी को विधानसभा में पेश किया जाएगा. आज से विधानसभा का सत्र भी शुरू हो रहा है. ये विशेष सत्र खासतौर पर UCC को कानून बनाए जाने के लिए बुलाया गया है. ड्राफ्ट को सदन के पटल पर पेश करने से पहले कैबिनेट की मंजूरी जरूरी थी. ड्राफ्ट कमेटी ने बहु-विवाह से लेकर बाल विवाह पर प्रतिबंध तक का प्रावधान किया है. इसके साथ ही अवैध संबंध से होने वाली संतान को भी संपत्ति में बराबरी का हक देने की सिफारिश की है।
740 पेज की ड्राफ्ट कमेटी की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय कमेटी ने तैयार की है. इसे शुक्रवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंपा गया था. समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक का उद्देश्य नागरिक कानूनों में एकरूपता लाना है. यानी प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून होना. समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा. यह कानून सामाजिक मामलों से जुड़ा हुआ है. यह सभी पंथ के लोगों के लिए विवाह, तलाक, भरण-पोषण, विरासत और बच्चा गोद लेने आदि में समान रूप से लागू होता है. रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली उत्तराखंड कैबिनेट ने UCC विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी है. सूत्रों के मुताबिक यूसीसी बिल की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं।
बेटे और बेटी के लिए समान संपत्ति का अधिकारः उत्तराखंड सरकार द्वारा तैयार समान नागरिक संहिता विधेयक में बेटे और बेटी दोनों के लिए संपत्ति में समान अधिकार सुनिश्चित किया गया है, चाहे उनकी कैटेगिरी कुछ भी हो. सभी श्रेणियों के बेटों और बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार दिए गए हैं।
वैध और नाजायज बच्चों के बीच की दूरियां खत्म होंगी: विधेयक का उद्देश्य संपत्ति के अधिकार के संबंध में वैध और नाजायज बच्चों के बीच के अंतर को खत्म करना है. अवैध संबंध से होने वाले बच्चे भी संपत्ति में बराबर के हक होंगे. सभी बच्चों को जैविक संतान के रूप में पहचान मिलेगी. नाजायज बच्चों को दंपति की जैविक संतान माना गया है।
गोद लिए गए और बायोलॉजिकली रूप से जन्मे बच्चों में समानता: समान नागरिक संहिता विधेयक में गोद लिए गए, सरोगेसी के जरिए पैदा हुए या सहायक प्रजनन तकनीक के माध्यम से पैदा हुए बच्चों के बीच कोई अंतर नहीं है. उन्हें अन्य बायोलॉजिकली बच्चों की तरह जैविक बच्चा माना गया है और समान अधिकार दिए गए हैं।
मृत्यु के बाद समान संपत्ति का अधिकारः किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद, पति/पत्नी और बच्चों को समान संपत्ति का अधिकार दिया गया है. इसके अतिरिक्त, मृत व्यक्ति के माता-पिता को भी समान अधिकार दिए गए हैं. यह पिछले कानूनों से एकदम अलग है. पिछले कानून में मृतक की संपत्ति में सिर्फ मां का ही अधिकार था।