केआरसी इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड जिसका आफिस 48MQ+9M8, रसूलपुर रोड, न्यू कॉलोनी, ब्लॉक बी, पलवल, फरीदाबाद, हरियाणा मे स्थित है। इस कम्पनी को देहरादून से से दिल्ली एलिवेटेड एक्सप्रेसवे फेज 4 के 8.25 किलोमीटर निर्माण का टेंडर आवंटित किया गया है। उस कम्पनी के द्वारा लाखो घन मीटर मिट्टी खोद कर आशारोड़ी के हरे भरे जंगलों मे डंप कि गई ।
रोड से निकला मलवा भी जंगल मे ही हरे पेड़ों पर डाल दिया गया जिससे सैकड़ों पेड़ सूखकर खत्म हो गए इन पेड़ो कि संख्या लगभग 500 से 800 के बीच हो सकती है सही आंकड़ा जांच के बाद ही सामने आयेगा ।
अब सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर महीनो से काम कर रही इस कंपनी के द्वारा हरे भरे पेड़ो के बीच डम्पिंग की ख़बर वन विभाग के अधिकारियों को कैसे नही लगी? पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एवं स्मार्ट सिटी के अधिकारियों कि आंखे कैसे नही खुली और इतने हरे भरे पेड़ो की हत्या इतनी खुली आंखो के सामने कर दी गई, फिर भी इतने सारे विभाग और उनसे संबन्धित मंत्रालय मूक दर्शक कैसे बने रहे ?
वही दूसरी और उत्तराखंड सरकार के वन मंत्री सुबोध उनियाल को …
जब हमने इसकी जानकारी दी तो उन्होने सख्त कार्यवाही करने की बात तो की पर उन पर भी सवाल ये खड़ा होता है कि इतने ज्यादा शिक्षित और अनुभवी उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री से कहाँ चूक हो गयी और वो इस सजीव हत्या के भागीदार बन गए!
आपको बता दे कि बीजेपी में रहे पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के कार्यकाल मे रामनगर वन प्रभाग मे हजारों पेड़ काटे गए थे, जिसमे कई अधिकारी जेल कि हवा खा रहे है और हरक सिंह रावत पर भी इसकी आंच है ।
तो क्या प्रदेश के तेजतर्रार युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी अपने मौजूदा वन मंत्री और इस प्रकरण से संबन्धित समस्त विभाग के अधिकारियों पर कार्यवाई करने का साहस जुटा पाएंगे ?
वही प्रदेश मे इतना बड़ा इन्वेस्टर्स समिट हुआ जिसमे तमाम बड़े नेता , अधिकारी और उद्योगपति भी इसी रोड से होकर गुजरे और गुजरते रहते है तो ऐसे मे किसी कि निगाह इन पेड़ो कि हत्या पर क्यो नहीं पड़ी ?
इसका मतलब वन मंत्री से लेकर तमाम संबन्धित विभागो के अधिकारीओ पर भी इन सजीव हरे पेड़ो की हत्या का मुकदमा चलेगा?
बड़े सवाल
क्या केआरसी कम्पनी जो की प्रदेश से बाहर कि कम्पनी है इन लोगो ने जिस तरीके से देवभूमि मे आकर चंद पैसे बचाने के लालच मे कई 100 पेड़ो को जिंदा दफन कर दिया क्या इस कम्पनी के डायरेक्टर पर मुकदमा दर्ज करेगी सरकार।
हालाकि परसो खबर चलने के बाद कल महीनों से सोई हुई वन विभाग कि टीम जागी और मौके पर जाकर नुकसान का जायजा लिया और अपनी रिपोर्ट डीएफओ देहरादून को सौपने की और कार्यवाई की बात की।
इस खबर के चलने के बाद भारत न्यूज़ फर्स्ट के संपादक को कुछ स्वंभू पत्रकारों के फोन आने लगे और खबर ना चलाने के लिए दबाव बनाने लगे , इन जैसे पत्रकारी चोला रूपी सेटिंगबाज़ लोगो को नहीं पता कि सही खबर चलाने और लिखने वाले पत्रकार ऐसों के झांसे मे नहीं आ पाते । दिन भर पुलिस विभाग के प्रशासनिक कार्यालयो मे धसक कर बैठकर अपनी दलाली की रोटी चलाने वाले ऐसे पत्रकारो पर पुलिस के खुफिया दस्ते को भी निगाह रखनी चाहिए ताकि इन पर अंकुश लगाया जा सके ।
यदि आवश्यकता पड़ी तो उनके नाम भी उजागर किए जायेंगे सारे साक्ष्य भारत न्यूज़ फर्स्ट के पास मौजूद है।अब इस प्रकरण को लेकर भारत न्यूज़ फ़र्स्ट और खुलासे करेगा और कार्यवाई ना होने तक शांत नहीं बैठेगा । अगर जरूरत पड़ी तो उच्च न्यायालय और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भी जाने से नहीं चूकेगा भारत न्यूज़ फ़र्स्ट ।