Dehradun: दून अस्पताल की इमरजेंसी का हाल…व्हीलचेयर पर ढोया जा रहा सामान, कंधे पर उठाकर ले जा रहे मरीज
The relatives of the patients coming to the emergency and OPD of Doon Hospital have to worry about stretchers and wheelchairs.
देहरादून
दून अस्पताल की इमरजेंसी और ओपीडी में आ रहे मरीजों के तीमारदारों को स्ट्रेचर, व्हीलचेयर के लिए परेशान होना पड़ता है। अस्पताल में मरीज आते हैं तो उन्हें तुरंत उपचार की जरूरत होती है, लेकिन अस्पताल के गेट पर कभी स्ट्रेचर और व्हीलचेयर नहीं मिल पाती है। स्थिति यह है कि अस्पताल के गेट से मरीजों को गोद में उठाकर ट्रायज एरिया तक ले जाना पड़ता है।
अस्पताल की इमरजेंसी में रोजाना 200 से 300 मरीज और ओपीडी में 2000 से 2500 मरीज तक इलाज के लिए आते हैं। इसमें 50 फीसदी मरीज गंभीर अवस्था में होते हैं। मरीज को एंबुलेंस से लाने के बाद तीमारदार सबसे पहले गेट पर स्ट्रेचर और व्हीलचेयर ही खोजते हैं। अस्पताल के गेट पर स्ट्रेचर और व्हीलचेयर कभी नहीं मिलती है। मरीज की गंभीर हालत देखते हुए तीमारदार मरीज को गोद में उठाकर ही ट्रायज एरिया तक ले जाते हैं। सोमवार को भी यही स्थिति देखने को मिली। एक मरीज के तीमारदार एंबुलेंस के स्ट्रेचर से मरीज को उठाकर अस्पताल के अंदर ले जा रहे थे। वहीं, दूसरी ओर ओपीडी में बुजुर्ग मरीज को कंधे पर उठाकर तीमारदार ले जा रहे थे। अस्पताल में यह भी देखने को मिला व्हीलचेयर पर सामान ढोया जा रहा है।
अस्पताल में जमा है 400 आधार कार्ड, वापस नहीं की व्हीलचेयरI
अस्पताल प्रशासन के मुताबिक इमरजेंसी के गेट पर स्ट्रेचर और व्हीलचेयर रखे जाते हैं। कोई एक मरीज आता है तो उसको स्ट्रेचर दे दिया जाता है। स्ट्रेचर और व्हीलचेयर देने पर मरीज के तीमारदार से आधार कार्ड जमा करवाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि मरीज आधार कार्ड वापस लेने आए तो व्हीलचेयर और स्ट्रेचर वापस कर दे। फिलहाल स्थिति यह है कि तीमारदार न व्हीलचेयर, स्ट्रेचर वापस करने आते हैं और न ही अपना आधारकार्ड ले जाते हैं। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक इमरजेंसी में करीब 400 तीमारदारों के आधार कार्ड जमा हो गए हैं।
इमरजेंसी के गेट पर मरीजों के लिए पांच व्हीलचेयर, पांच स्ट्रेचर और ओपीडी में दो स्ट्रेचर, दो व्हीलचेयर लगाने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। स्ट्रेचर और व्हीलचेयर पर सामान ढोते थे, इसलिए ट्राली मंगाई गई। इन व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए गार्ड को भी स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
– डॉ. अनुराग अग्रवाल, एमएस, दून अस्पतालI