
देहरादून। हाल ही में एक निजी सर्वे कंपनी पी वैल्यू एनालिटिक्स द्वारा “NARI-2025” शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में देहरादून को देश के 10 असुरक्षित शहरों में शामिल किया गया है। इस पर राज्य महिला आयोग ने आपत्ति जताते हुए स्पष्ट किया है कि यह सर्वे न तो राष्ट्रीय महिला आयोग और न ही राज्य महिला आयोग द्वारा कराया गया है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी किसी ऐसे सर्वे से जुड़ाव होने से इनकार किया है।
महिला आयोग के अनुसार, यह रिपोर्ट पूरी तरह निजी कंपनी की स्वतंत्र पहल है, जो अपराध के वास्तविक आँकड़ों पर आधारित नहीं बल्कि व्यक्तिगत धारणाओं पर आधारित है।
देहरादून में महिला सुरक्षा के वास्तविक तथ्य
सर्वे में दावा किया गया कि देहरादून में महिलाएं सुरक्षित महसूस नहीं करतीं, लेकिन आंकड़े कुछ और ही तस्वीर पेश करते हैं।
- देहरादून में महिलाओं की आबादी करीब 9 लाख है, जबकि सर्वे केवल 400 महिलाओं से टेलीफोनिक बातचीत पर आधारित था।
- सर्वे में महिला सुरक्षा ऐप्स के उपयोग को केवल 4% बताया गया, जबकि गौरा शक्ति ऐप पर अब तक 1.25 लाख पंजीकरण हो चुके हैं, जिनमें 16,649 पंजीकरण देहरादून से हैं।
- अगस्त माह में डायल 112 पर आई कुल 12,354 शिकायतों में से केवल 2,287 (18%) शिकायतें महिलाओं से संबंधित थीं, जिनमें भी ज्यादातर घरेलू विवाद थे। छेड़छाड़ व लैंगिक हमलों की शिकायतें मात्र 1% से भी कम रहीं।
- इन शिकायतों पर पुलिस का औसत रिस्पॉन्स टाइम केवल 13.33 मिनट रहा।
पुलिस गश्त और सुरक्षा व्यवस्था
- सर्वे रिपोर्ट के अनुसार पुलिस पेट्रोलिंग में देहरादून का स्कोर 33% है, जो कोहिमा जैसे सर्वाधिक सुरक्षित बताए गए शहर से भी बेहतर है।
- सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न (Harassment at Public Places) का राष्ट्रीय औसत 7% है, जबकि देहरादून में यह 6% है।
- देहरादून में महिला सुरक्षा हेतु गौरा चीता पेट्रोलिंग यूनिट, पिंक बूथ, वन स्टॉप सेंटर, महिला हेल्प डेस्क, आत्मरक्षा शिविर, सीसीटीवी कैमरा नेटवर्क जैसी सुविधाएं सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।
- शहर में स्मार्ट सिटी और पुलिस नेटवर्क से जुड़े कुल 14 हजार से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगातार निगरानी कर रहे हैं।
सुरक्षित वातावरण का उदाहरण
वर्तमान में देहरादून में करीब 70 हजार बाहरी छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें 43% छात्राएं हैं। बड़ी संख्या में विदेशी छात्र भी यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके अलावा, देहरादून वर्षभर हजारों पर्यटकों का पसंदीदा गंतव्य बना रहता है। लगातार बढ़ती छात्र एवं पर्यटक संख्या इस बात का प्रमाण है कि शहर सुरक्षित है।
आयोग का रुख
महिला आयोग का कहना है कि किसी भी सर्वे का महत्व तभी है जब उसकी पद्धति वैज्ञानिक और तथ्यात्मक हो। मात्र 0.04% आबादी की राय को पूरे शहर का निष्कर्ष मानना उचित नहीं है। देहरादून हमेशा से सुरक्षित शहरों की सूची में गिना जाता है और यही कारण है कि यहां देश-विदेश से छात्र-छात्राएं और पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं।


