
देहरादून
उत्तराखंड की राजधानी, जो कभी अपनी शांति, शिक्षा और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती थी, आज नशे और अश्लीलता के अड्डों में तब्दील होती जा रही है। शहर के कई क्लब और बार अब महज मनोरंजन के केंद्र नहीं रहे, बल्कि यहां रात ढलते ही एक अलग ही दुनिया बसती है—जहां ड्रग्स, शराब और बेहूदगी का नंगा नाच होता है। सवाल उठता है कि इन अवैध गतिविधियों को आखिर कौन दे रहा है संरक्षण? और पुलिस-प्रशासन की चुप्पी क्या किसी मिलीभगत की ओर इशारा नहीं करती?
क्लब और बार बनते जा रहे अपराध के अड्डे
देहरादून के पॉश इलाकों से लेकर बाहरी क्षेत्रों तक फैले कई क्लब और बार अब युवा पीढ़ी को बर्बादी के रास्ते पर धकेल रहे हैं। आधी रात के बाद यहां पर खुलेआम ड्रग्स का सेवन होता है, शराब परोसी जाती है और अश्लील डांस का आयोजन किया जाता है। युवतियों को आकर्षक पैसों का लालच देकर डांस फ्लोर पर उतारा जाता है, वहीं हाई-प्रोफाइल ग्राहकों के लिए ‘स्पेशल सर्विसेज’ की भी पेशकश की जाती है।
प्रशासन की चुप्पी क्यों?
ऐसा नहीं है कि यह सब छुपकर हो रहा है। सोशल मीडिया से लेकर आम जनता तक को इन क्लबों की कारगुजारियों की जानकारी है। लेकिन स्थानीय पुलिस और प्रशासन की आंखों पर मानो पट्टी बंधी हो। सूत्रों की मानें तो इन क्लबों के मालिकों के रसूखदार नेताओं और अधिकारियों से अच्छे संबंध हैं।
कानून का मखौल उड़ता देख रही है जनता
रात होते ही जब सायरन की आवाज़ें थमती हैं, तब इन क्लबों की दीवारों के भीतर एक नया जंगल राज शुरू होता है। नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जाती हैं—ओवर टाइम, बिना परमिट शराब परोसना, नाबालिगों को प्रवेश देना, और नशे का कारोबार सब कुछ सरेआम होता है। जनता सवाल कर रही है कि क्या अब देहरादून में कानून सिर्फ आम लोगों के लिए रह गया है?
युवाओं का भविष्य दांव पर
इन क्लबों में जो कुछ भी हो रहा है, उसका सबसे बुरा असर पड़ रहा है युवाओं पर। कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राएं इन चकाचौंध में अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। कई मामलों में ड्रग ओवरडोज से मौत तक की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है।
जनता की मांग—हो सख़्त कार्रवाई
देहरादून की जनता अब जाग चुकी है। सोशल मीडिया पर कई एक्टिविस्ट और स्थानीय संगठन इस मुद्दे को उठा रहे हैं। मांग की जा रही है कि इन क्लबों की जांच करवाई जाए, CCTV फुटेज खंगाले जाएं और जो भी दोषी हैं, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
बता दे कि जहां एक ओर SSP अजय सिंह द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि शहर में कानून व्यवस्था का सख्ती से पालन रात 10 बजे के बाद कोई भी क्लब/बार खुले न रहें।
• बार व क्लब संचालकों पर निगरानी रखी जाए।
• ड्रग्स और नशीले पदार्थों की तस्करी पर सख्त कार्रवाई हो।
लेकिन सच्चाई ये है कि इन आदेशों को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। कई क्लब आधी रात के बाद भी खुले रहते हैं और पुलिस की नाक के नीचे अवैध गतिविधियाँ बेरोकटोक चल रही हैं।
देहरादून को ‘एजुकेशन हब’ और ‘क्लीन एंड ग्रीन सिटी’ बनाने के लिए इन अड्डों पर लगाम कसना बेहद जरूरी है। अगर प्रशासन अभी भी आंख मूंदे रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब यह शहर अपने गौरवशाली अतीत को खो देगा और अराजकता का पर्याय बन जाएगा।
अब वक्त है कि जनता आवाज उठाए, मीडिया सच्चाई दिखाए और प्रशासन जागे। क्योंकि अगर अब भी चुप रहे, तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।