
बैंकों में कोई भी जमा राशि 10 साल से अधिक लावारिस पड़ी है तो वह भारतीय रिजर्व बैंक को ट्रांसफर हो जाएगी। जमा राशि रिजर्व बैंक में ट्रांसफर होने के बाद भी जमा करने वाला या जमाकर्ता के परिवार का सदस्य अधिकृत दस्तावेज के साथ दावा कर सकेगा। भारतीय रिजर्व बैंक में ट्रांसफर होने के बाद राशि निकासी के दावेदारों को आरबीआई में ही दावा करना होगा। देश के लाखों खातों में 10 साल से अधिक समय से लावारिस पड़ी राशि पर नई व्यवस्था आगामी वित्तीय वर्ष में एक अप्रैल से लागू होने जा रही है। आरबीआई के मुख्य प्रबंधक सुनील टीएस नायर की तरफ से एक जनवरी को इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। आदेश के मुताबिक बैंक शाखाओं से आरबीआई में ट्रांसफर होने के बाद लावारिस राशि डिपॉजिटर एजूकेशन एंड अवेरनेस (डीईए) में सुरक्षित रखी जाएगी।
केंद्र सरकार के कर व वित्त सलाहकार डॉ. पवन जायसवाल ने बताया कि अभी लावारिस जमा राशि सामान्य बैंकों में रहती है। इसके दावेदार वैध दस्तावेज के साथ जमा राशि वाले बैंक में निकासी का दावा करते हैं। नई व्यवस्था में 10 साल बाद लावारिस राशि आरबीआई के डीईए के खाते में ट्रांसफर होगी। राशि के दावेदार को अब आरबीआई में दावा करना होगा। अब राशि निकालने वाले के दस्तावेजों की गंभीरता से जांच कराई जाएगी।
डॉ. जायसवाल के अनुसार आरबीआई में ट्रांसफर होने के बाद भी स्थानीय बैंक प्रबंधन को लावारिस राशि के खाताधारक और उसके रिश्तेदार की तलाश जारी रखनी होगी। जब लावारिश राशि का कोई दावेदार नहीं मिलेगा तो इस राशि को डीईए योजना के तहत बैंक ग्राहकों के जागरूकता पर खर्च किया जाएगा। इस बारे में प्रयागराज के एएलडीएम बेलाल अहमद ने बताया कि देश के बैंकों में 10 साल से अधिक समय से जमा लावारिस राशि की व्यवस्था में बदलाव किया गया है।