
देहरादून
देशभर में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर जब भी पुलिस चालान काटती है, तो लोगों के मन में एक आम सवाल उठता है – “इस चालान से वसूला गया पैसा आखिर जाता कहां है?” क्या यह पैसा सीधे पुलिस के पास जाता है, या सरकार इसे किसी और उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करती है? चलिए जानते हैं इस जुर्माने की रकम के पीछे की पूरी हकीकत।
चालान की प्रक्रिया: कानून के अनुसार जुर्माना
ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर भारतीय मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 के तहत जुर्माना लगाया जाता है। यह जुर्माना या तो ऑन-द-स्पॉट नकद में लिया जाता है, या इलेक्ट्रॉनिक चालान (e-challan) के जरिए ऑनलाइन भुगतान किया जाता है। कई राज्यों में अब डिजिटल चालान प्रणाली लागू है, जिससे पारदर्शिता बढ़ी है।
पैसा जाता है सरकार के खाते में
यह एक आम गलतफहमी है कि चालान की राशि सीधे पुलिस के पास जाती है। सच्चाई यह है कि चालान से वसूली गई रकम सीधे राज्य सरकार के राजस्व खाते (State Treasury) में जमा होती है। इसका उपयोग कई सार्वजनिक सेवाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए किया जाता है, जिनमें सड़क सुरक्षा, ट्रैफिक व्यवस्था सुधार और सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था शामिल है।
क्या पुलिस को कोई हिस्सा मिलता है?
नहीं। पुलिस विभाग को चालान की रकम का कोई हिस्सा सीधे नहीं मिलता। हां, कुछ राज्यों में ट्रैफिक सुधार योजनाओं के लिए बजट जरूर मिलता है, लेकिन वह भी राज्य सरकार द्वारा तय प्रक्रिया के तहत होता है।
चालान का उद्देश्य: पैसा नहीं, सुरक्षा
सरकार और पुलिस बार-बार इस बात को दोहराते हैं कि चालान काटने का उद्देश्य पैसा कमाना नहीं, बल्कि लोगों को सड़क सुरक्षा के नियमों के प्रति जागरूक करना और दुर्घटनाओं को रोकना है।
ई-चालान से बढ़ी पारदर्शिता
आजकल ज्यादातर शहरों में ई-चालान प्रणाली लागू है, जिससे जुर्माने की रकम सीधे डिजिटल माध्यम से सरकार के खाते में जाती है। इससे भ्रष्टाचार पर भी काफी हद तक लगाम लगी है।
अगर अगली बार आपका चालान कटे, तो इसे ‘पैसे की लूट’ न समझें। यह एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसका मकसद आपकी और दूसरों की जान की हिफाजत करना है। साथ ही, यह रकम देश की ट्रैफिक व्यवस्था और सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए उपयोग की जाती है।