
निकाय चुनाव का बिगुल बज चूका है 23 जनवरी को मतदान होने है जिसका ऐलान हो चूका है लेकिन अब सबसे ज्यादा चिंतन कांग्रेस पार्टी को करना है ख़ासकर हरिद्वार जिले मे जहाँ मुस्लिम समुदाय अच्छी खासी तादाद मे है और विधानसभा हो या लोकसभा कांग्रेस पार्टी को लामबंद होकर वोट डालता है अब कांग्रेस को देखना है की मुस्लिमो की एहमियत उनकी पार्टी के लिए क्या तेज पत्ते जैसी है जो बिरयानी को स्वाद तो पूरा देता है लेकिन जब खाने का समय आये तो फेक दिया जाता है।
नगर पालिका की बात करे तो मंगलौर मे तो कांग्रेस हमेशा मुस्लिम चेहरे पर दांव चलती है वही अगर हरिद्वार ज़िले मे नगर पंचायत की बात करे जिनमे 50 फिसद से अधिक मुस्लिम आबादी है तो झबरेड़ा , भगवानपुर ऐसी पंचायत है जहाँ मुस्लिम बहुसंख्यक है और दोनों ही जगह कांगेस के मौजूदा विधायक है लोकसभा चुनाव मे भी दोनों सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी लेकिन अब ये देखना है की क्या कांग्रेस इन मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर क्या मुस्लिम उम्मीदवारों को मौका देकर उन्हें आगे बढ़ाएगी या तेज पत्ते की तरह इस्तेमाल करेगी।
हरिद्वार जिले मे मुस्लिम समाज पहले भी विधानसभा चुनाव मे दिखा चूका है की वो कितनी समझदारी से वोट करता है जहाँ कांग्रेस जीत मे थी वहा कांग्रेस को वोट दिया खानपुर मे उमेश कुमार को जिताया और लक्सर मे बसपा के उम्मीदवार को वोट किया तो ऐसा तो नही है की मुस्लिमो के पास विकल्प नही है बसपा, आजाद समाज पार्टी जैसे अनेक विकल्प मौजूद है।
ये समय कांग्रेस का है की लोकल चुनाव मे कांग्रेस मुस्लिम उम्मीदवारों को मौका देकर उनका भरोसा जीते।
यदि ऐसा ना किया गया तो इसका नुकसान 2027 के विधानसभा चनावो मे कांग्रेस को उठाना पड़ेगा।