
उत्तर प्रदेश के पूर्व चीफ मिनिस्टर और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को हालांकि राजस्थान में कोई सीट नहीं मिली है जबकि करीब 72 प्रत्याशी उन्होंने खड़े किए थे.समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी तो नहीं जीत सके पर उन प्रत्य़ाशियों के चलते कांग्रेस ने कई सीटें जरूर गंवाई हैं. कांग्रेस ने अगर अखिलेश यादव को महत्व दिया होता तो हो सकता है कि उनकी स्थित इतनी दयनीय नहीं होती. साथ लेना तो दूर कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के इस कद्दावर नेता के साथ जो बिहेव किया वो कहीं से भी एक बड़ी पार्टी को शोभा नहीं देता था. मगर अहंकार में चूर कांग्रेस के नेताओं ने अखिलेश यादव से अधिक अपना नुकसान करा लिया.
हालांकि अखिलेश यादव ने अपने साथ हुए दुर्व्यवहार का बदला ले लिया. उनकी पार्टी को कोई सीट तो नहीं मिली और न ही अखिलेश अपनी पार्टी के वोटिंग परसेंटेज ही सुधार कर पाए पर वो हारकर भी जीत गए. क्योंकि उन्हें इस हार से कई फायदे होने वाले हैं. इसमें अतिशयोक्ति नहीं है. अखिलेश ने न केवल कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया बल्कि अपने लिए इंडिया गठबंधन में मजबूत जमीन भी तैयार कर ली है.